कोबरा ( टेढ़ी बता ): अब बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है लेकिन थोड़ा बोलने और पोल खोलने में कोई हर्ज भी नहीं अब बात यदि रेट की की जाए तो रिश्वत भी मानो रियल स्टेट का कारोबार हो गया सबको वसुली का बुखार हो गया। जहां जगह के हिसाब से रेट बदल रहे हैं तो जिम्मेदारों के शह पर खेल चल रहें हैं। कोयलांचल वाले साहब जहां हाईवा का 15 और डग्गी का 7 का रेट कबूलते है तो मुख्यालय वाले धन संकलन प्रभारी हाईवा का 20 और डग्गी का 8 वसूलते हैं। इसके अलावा मुख्यालय के संकलन प्रभारी का अजब -गजब किस्सा है.. कटिंग की खेल में इनका अलग से हिस्सा है, लक्की को तो हाईवे में प्लाट आवंटित किया है, बाकी सब
को स्वेक्षा अनुसार का अभयदान दिया है। खैर कहा सुनी माफी अभी के लिए इतना काफी। बाकी रात,बाकी बात बाकी।
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